Thursday, April 16, 2009

आज मैं बहुत खुश हु

आज मैं बहुत खुश हु

आज एक कल्पित संशयात्मक नकारात्मक भाव को मैंने जीत लिया

आज रिश्तो को तोड़ने वाले सबसे बड़े कारन अहम् व संवादहीनता को मैंने जीत लिया

................बस इसलिए खुश हु

क्यू खुश हु बता नही सकता

बस खुश हु महसूस कर सकता हु

की आज मैं बहुत खुश हु

आज एक बेटी के अपने बाबा को लिखे ख़त की पंक्ति "मुझे किसी ने नही कहा चलो कोई बात नही एक बार फिर से शुरुआत करते हैं यही ज़िन्दगी हैं "ने मेरे क्षुद्र भाव को जीत लिया

आज मैंने श्रीमद भगवद गीता के श्लोको से अपने मन के अंतर्द्वंद को जीत लिया

................बस इसलिए खुश हु
क्यू खुश हु बता नही सकता
बस खुश हु महसूस कर सकता हु
की आज मैं बहुत खुश हु

किसी किसी चीज को ज्यादा ही बारीकी से सोचने का जो लकवा हो जाता हैं ,आज मैं उस बीमारी को जीत गया

आज मेरा स्पष्टवादी ,बहिर्मुखी, अभिव्यंजक होना ,मेरा पाथ्यक्रमोतर किताबे पढ़ना ही मेरे काम आ गया

और आज मैं अपने आप को जीत गया

................बस इसलिए खुश हु
क्यू खुश हु बता नही सकता
बस खुश हु महसूस कर सकता हु
की आज मैं बहुत खुश हु