Sunday, March 29, 2009

गुल हो मगर............

गुल हो मगर ........

गुल हो मगर न खार हो ऐसा नही होता
दुनिया में सिर्फ़ प्यार हो ऐसा नही होता.......

इस ज़िन्दगी में गम की अहमयित भी कम नही
हर dam गुल-ऐ-गुलज़ार हो ऐसा नही होता......

नाकामियां इंसा को दिखाती हे नए रह
लेकिन हमेशा हर हो एसा नही होता.......

बेशक हमारा पास ज़माने भर का हुनर हो
हर कोई तलबगार हो ऐसा नही होता......

कुछ लोग हे जो दर्द छुपाते हे दिलो में
सबको गमो से प्यार हो ऐसा नही होता......

मिल जाए अगर एक इंसा तो बहुत हे
सारा जहा यार हो ऐसा नही होता......

हिम्मत हे नन्हे परिंदे के जिगर में
फिर अस्मा पर नही हो ऐसा नही होता.......

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